Dil Dhadakane Ka Sabab - Live

Nasir Kazmi की ये ग़ज़ल याद आ रही है
लेकिन इससे पहले एक ख़ता पेश है

रात यूँ दिल में तेरी खोई हुई याद आई
जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाए
जैसे सहराओं में हौले से चले बाद-ए-नसीम
जैसे बीमार को बेवजह क़रार आ जाए

दिल धड़कने का सबब याद आया
दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तेरी याद थी, अब याद आया
दिल धड़कने का सबब याद आया

आज मुश्किल था सँभलना, ऐ दोस्त
आज मुश्किल था सँभलना, ऐ दोस्त
आज मुश्किल था सँभलना, ऐ दोस्त
तू मुसीबत में अजब याद आया
वो तेरी याद थी, अब याद आया
दिल धड़कने का सबब याद आया

हाल-ए-दिल हम भी सुनाते, लेकिन
हाल-ए-दिल हम भी सुनाते, लेकिन
हाल-ए-दिल हम भी सुनाते, लेकिन
जब वो रुख़्सत हुआ, तब याद आया
वो तेरी याद थी, अब याद आया
दिल धड़कने का सबब याद आया

बैठ कर साया-ए-गुल में, Nasir
बैठ कर साया-ए-गुल में, Nasir
बैठ कर साया-ए-गुल में, Nasir
हम बहुत रोए वो जब याद आया
वो तेरी याद थी, अब याद आया
दिल धड़कने का सबब याद आया
दिल धड़कने का सबब याद आया



Credits
Writer(s): Nasir Kazmi, Pankaj Udhas
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