Mar Jaayen

हर लम्हा देखने को तुझे इंतज़ार करना
तुझे याद करके अक्सर रातों में रोज़ जगना
बदला हुआ है कुछ तो दिल इन दिनों ये अपना

काश, वो पल पैदा ही ना हो
जिस पल में नज़र तू ना आए
काश, वो पल पैदा ही ना हो
जिस पल में नज़र तू ना आए
'गर कहीं ऐसा पल हो
तो इस पल में मर जाएँ

मर जाएँ, मर जाएँ
मर जाएँ, हो, मर जाएँ
मर जाएँ, मर जाएँ
मर जाएँ, हो, मर जाएँ

तुझ से जुदा होने का तसव्वुर
एक गुनाह सा लगता है
जब आता है भीड़ में, अक्सर
मुझ को तन्हा करता है

ख़्वाब में भी जो देख ले ये
रात की नींदें उड़ जाएँ

मर जाएँ, मर जाएँ
मर जाएँ, हो, मर जाएँ

अक्सर मेरे हर एक पल में
क्यूँ ये सवाल सा रहता है?
"तुझ से मेरा तअल्लुक़ है ये कैसा?
आख़िर कैसा रिश्ता है?"

तुझ को ना जिस दिन हम देखें
वो दिन क्यूँ गुज़र ही ना पाए?

मर जाएँ, मर जाएँ
मर जाएँ, हो, मर जाएँ
मर जाएँ, मर जाएँ
मर जाएँ, हो, मर जाएँ

मर जाएँ, मर जाएँ
मर जाएँ, हो, मर जाएँ



Credits
Writer(s): Sayeed Quadri, Mithun Naresh Sharma
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