Aa Zara (Reloaded)

ये रात रुक जाये, बात थम जाये
तेरी बाहों में
ख्वाहिशें जगी हैं प्यासे-प्यासे लबों पे
खुद को जला दूँ, तेरी आँहों में

आगोश में आज मेरे समा जा
जाने क्या होना है कल!

आ ज़रा करीब से
जो पल मिले नसीब से
आजा ज़रा करीब से
जो पल मिले नसीब से जी ले

ये जहां सारा भूल कर
जिस्मों के साए तले
धीमी-धीमी साँसे चले रात भर
पल दो पल हम हैं हमसफ़र
है अभी दोनों यहाँ
होंगे सुबह जाने कहाँ, क्या खबर?

आजा ज़रा खुद को मुझमे मिला जा
जाने क्या होना है कल!

आ ज़रा करीब से
जो पल मिले नसीब से
आजा ज़रा करीब से
जो पल मिले नसीब से जी ले

ख्वाब हूँ मैं तो मखमली
पलकों में ले जा मुझे
मैंने दिया मौका तुझे अजनबी
होश में आए ना अभी
इक दूजे में ही कहीं
खोई रहे तेरी-मेरी ज़िन्दगी

खामोशियाँ धड़कनों की सुना जा
जाने क्या होना है कल!

आ ज़रा करीब से
जो पल मिले नसीब से
आ-आ ज़रा करीब से
जो पल मिले नसीब से
आजा...



Credits
Writer(s): Jaidev Kumar, Kumaar
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