Pardesiyon Se Puch Puch (From "Kartavya")

१०० बिच्छुओं का डंक जुदाई
एक ज़हर का प्याला
ना जीता है, ना मरता है
इसको पीने वाला

परदेसियों से...
परदेसियों से पूछ-पूछ रोई मैं
परदेसियों से पूछ-पूछ रोई मैं
"मेरा माही जाके क्यूँ नहीं आया?
मेरा माही जाके क्यूँ नहीं आया?"

नित उसकी ही याद...
नित उसकी ही यादों में खोई मैं
नित उसकी ही यादों में खोई मैं
मेरा माही जाके क्यूँ नहीं आया?
मेरा माही जाके क्यूँ नहीं आया? ना आया
परदेसियों से...

इश्क़ करें वो जाने इन राहों में कितना ग़म है
होके जुदा ज़िंदा हूँ, रब मेरे, यही क्या कम है?
दिल से दिल जोड़ के, वो गया हाय छोड़ के

जाने कैसे-कैसे...
हो, जाने कैसे-कैसे ख़ाब संजोई मैं
जाने कैसे-कैसे ख़ाब संजोई मैं
मेरा माही जाके क्यूँ नहीं आया?
मेरा माही जाके क्यूँ नहीं आया? ना आया
परदेसियों से...

(सुन के या भीम जी की बात)
(आज म्हारो मन डोले)
(देख के नाचता मोर)
(आज म्हारो मन डोले)

(दुनिया को, ख़ुदा को भूल गया)
(बस उसको पुकारे प्यार)
(सुध-बुध बिसराए बैठी हूँ)
(है उसका मुझे इंतज़ार)

राह उसी की देखें पल-पल ये निगोड़ी आँखें
तन को डंसे तनहाई, अब काटे कटे नहीं रातें
इश्क़ में खो गई, क्या से क्या हो गई

ढली, रात ढली...
हो, ढली, रात ढली, नहीं सोई मैं
ढली, रात ढली, नहीं सोई मैं
मेरा माही जाके क्यूँ नहीं आया?
मेरा माही जाके क्यूँ नहीं आया? ना आया

परदेसियों से...
परदेसियों से पूछ-पूछ रोई मैं
परदेसियों से पूछ-पूछ रोई मैं
"मेरा माही जाके क्यूँ नहीं आया?
मेरा माही जाके क्यूँ नहीं आया?" ना आया
परदेसियों से...



Credits
Writer(s): Sameer Anjaan, Dilip Sen, Sameer Sen
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