Sukhakarta Dukhaharta, Shendur Lal Chadhayo, Ghalin Lotangan

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची, जय देव, जय देव

जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ति
दर्शनमात्रे मनकामनापूर्ति, जय देव, जय देव
जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ति
दर्शनमात्रे मनकामनापूर्ति, जय देव, जय देव

रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा
हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया, जय देव, जय देव

जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ति
दर्शनमात्रे मनकामनापूर्ति, जय देव, जय देव
जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ति
दर्शनमात्रे मनकामनापूर्ति, जय देव, जय देव

लंबोदर पीतांबर फणीवर वंदना
सरळ सोंड वक्रतुण्ड त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकष्टी पावावें, निर्वाणी रक्षावे सुरवरवंदना, जय देव, जय देव

जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ति
दर्शनमात्रे मनकामनापूर्ति, जय देव, जय देव
जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ति
दर्शनमात्रे मनकामनापूर्ति, जय देव, जय देव
जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ति
दर्शनमात्रे मनकामनापूर्ति, जय देव, जय देव

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको
हाथ लिए गुड़-लड्डू साईं सुरवरको
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पदको, जय देव, जय देव

जय-जय श्री गणराज विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता, जय देव, जय देव
जय-जय श्री गणराज विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता, जय देव, जय देव

अष्टौं सिद्धि दासी संकटको बैरि
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिहारि, जय देव, जय देव

जय-जय श्री गणराज विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता, जय देव, जय देव
जय-जय श्री गणराज विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता, जय देव, जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संपत-संपत सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोस्वामीनंदन निशिदिन गुन गावे, जय देव, जय देव

जय-जय श्री गणराज विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता, जय देव, जय देव
जय-जय श्री गणराज विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता, जय देव, जय देव
जय-जय श्री गणराज विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता, जय देव, जय देव

घालीन लोटांगण वंदीन चरण
डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे
प्रेमें आलिंगीन आनंद पूजन
भावे ओवाळिन म्हणे नामा

त्वमेव माता पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं

कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा
बुध्यात्मना वा प्रकृति स्वभावात्
करोमि यद्यत् सकलं परस्मै
नारायणायेती समर्पयामि

अच्युतं केशवं राम नारायणम्
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरे
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभम्
जानकीनायकं रामचंद्र भजे

हरे राम, हरे राम, राम-राम, हरे-हरे
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण, हरे-हरे
हरे राम, हरे राम, राम-राम, हरे-हरे
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण, हरे-हरे
हरे राम, हरे राम, राम-राम, हरे-हरे
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण, हरे-हरे

गणपति बप्पा मोरया
मंगलमूर्ती मोरया



Credits
Writer(s): Shankar Mahadevan
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