Shaam Ke Saaye

दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म
दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म
जैसे जंगल में शाम के साए
जैसे जंगल में शाम के साए

आँसू जो रुकने लगे
आँखों में चुभने लगे हैं
नया दर्द दो कोई, तो रो लें

दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म
जैसे जंगल में शाम के साए
जैसे जंगल में शाम के साए

अजनबी, अजनबी सा लगता है
कोई आँसू अगर चला आए
ओ, अजनबी, अजनबी सा लगता है
कोई आँसू अगर चला आए

ख़ुश्क-ख़ुश्क रहती हैं आँखें
नया दर्द दो कोई, तो रो लें

दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म
जैसे जंगल में शाम के साये
जैसे जंगल में शाम के साये

जाते-जाते सहम के रुक जाए
मुड़ के देखे उदास राहों पे
कैसे बुझते हुए उजालों पे
दूर तक धूल-धूल उड़ती है



Credits
Writer(s): Gulzar, Vishal Bhardwaj
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