Sanjh Dhali

साँझ ढली, दिल की लगी थक चली पुकार के
आजा, आजा, आ भी जा
क्या दूँ तुझे, पहले से मैं बैठी हूँ दिल हार के
जा-जा, जा-जा, जा, तू जा

साँझ ढली, दिल की लगी थक चली पुकार के
आजा, आजा, आ भी जा
क्या दूँ तुझे, पहले से मैं बैठी हूँ दिल हार के
जा-जा, जा-जा, जा, तू जा

ज़िद पे आ गया है दिल कि आज यूँ ना लौटना
मेरी सुनो, लौट जाओ, छोड़ दो ये बचपना

चार दिन की ज़िंदगी में, दिन हैं दो बहार के
आजा, आजा, आ भी जा
क्या दूँ तुझे, पहले से मैं बैठी हूँ दिल हार के
जा-जा, जा-जा, जा, तू जा

आ-आ-आ (जा-जा, जा-जा-जा-जा)
हो, आ-आ-आ (जा-जा, जा-जा-जा-जा-जा)
आ-आ-आ, ओ-हो-हो

कैसे कहूँ, कैसी उलझनों में मेरी जान है
ओ-हो-हा (ना, ना-ना-ना)
"हाँ" को "ना" समझ गए, ये प्यार की ज़ुबान है
ओ-हो-हो (हाँ-हाँ-हाँ)

काटने हैं हमको दिन किसी के इंतज़ार के
जा-जा, जा-जा, जा, तू जा
साँझ ढली, दिल की लगी थक चली पुकार के
आजा, आजा, आ भी जा
क्या दूँ तुझे, पहले से मैं बैठी हूँ दिल हार के
जा-जा, जा-जा, जा, तू जा

आ-आ-आ-आजा, आ-आ-आ-आजा
आ-आ-आजा, आ-आ-आ-आजा
जा-जा-जा-जा-जा, जा-जा-जा-जा-जा-जा-जा

सुन तो ले कि मेरे दिल का तुझसे क्या सवाल है
कुछ ना कर सकूँगी मैं, इसी का तो मलाल है, जा-जा

दिल ना तोड़, चाहे बोल दो ही बोल प्यार के
आजा, आजा, आ भी जा
क्या दूँ तुझे, पहले से मैं बैठी हूँ दिल हार के
जा-जा, जा-जा, जा, तू जा

साँझ ढली, दिल की लगी थक चली पुकार के
आजा, आजा, आ भी जा
जा-जा, जा-जा, जा, तू जा
आजा, आजा (जा, तू जा)



Credits
Writer(s): S.d. Burman
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