Milegi Milegi Manzil

मिलेगी-मिलेगी मंज़िल चल के कहीं दूर
आए हैं चले जाने को
आए हैं चले जाएँगे दूर, मजबूर
मिलेगी-मिलेगी...

कैसी है ये दुनिया
प्यार का नाम-निशान नहीं
नादाँ दुनिया वाले, देखो
यहाँ पे कोई ईमान नहीं

अकेले ढूँढते सवेरा, सवेरा
सवेरा, सवेरा आएगा चल के दो क़दम
फ़ासलें घट जाएँगे
हौसले बढ़ जाएँगे चल के दो क़दम

मिलेगी-मिलेगी...

चलते दुनिया वाले सारे राह
मगर, अनजान कहीं
मैं तो हूँ दीवाना
मेरी दीवानगी बे-नाम सही

अकेले ढूँढने मोहब्बत, मोहब्बत
मोहब्बत, मोहब्बत मिलेगी चल के कहीं दूर
साथी से मिल जाएँगे
बहारें फ़िर खिल जाएँगे चल के दो क़दम

मिलेगी-मिलेगी...



Credits
Writer(s): Lucky Ali, Syed Aslam Noor
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