Dil Ke Paas (Unplugged)

पल-पल दिल के पास तुम रहती हो
"जीवन मीठी प्यास," ये कहती हो
पल-पल दिल के पास तुम रहती हो

हर शाम आँखों पर तेरा आँचल लहराए
हर रात यादों की बारात ले आए
मैं साँस लेता हूँ, तेरी खुशबू आती है
एक महका-महका सा पैग़ाम लाती है
मेरे दिल की धड़कन भी तेरे गीत गाती है
पल-पल दिल के पास...

कल तुझको देखा था मैंने अपने आँगन में
जैसे कह रहे थे तुम; "मुझे बाँध लो बंधन में"
ये कैसा रिश्ता है? ये कैसे सपने हैं?
बेगाने होकर भी क्यूँ लगते अपने हैं?
मैं सोच में रहती हूँ, डर-डर के कहती हूँ

पल-पल दिल के पास तुम रहती हो
पल-पल दिल के पास तुम रहती हो



Credits
Writer(s): Kalyanji Virji Shah, Anandji V. Shah, Krishan Rajendra, Abhijit Sharad Vaghani
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