Maine Kaha Mohtaram

पैदल हो तुम, मंज़िल है दूर
हमदर्दी है तुमसे, हुज़ूर

मैंने कहा, "मोहतरम
रुके हुए क्यूँ हैं क़दम?"
मैंने कहा, "मोहतरम
रुके हुए क्यूँ हैं क़दम?
काहे का है इंतज़ार?"

माना कि है लंबा सफ़र
पर तुम्हें काहे का डर?
चढ़ती जवानी है, रुत भी सुहानी है
मंज़िल भी रही पुकार, ओए-होए

मैंने कहा, "मोहतरम
रुके हुए क्यूँ हैं क़दम?"

चलने में पाँव थक जाएँ जो तुम्हारे
ले लेना दम कहीं बैठ के, प्यारे
चलने में पाँव थक जाएँ जो तुम्हारे
ले लेना दम कहीं बैठ के, प्यारे
राही को है ठंडी छाँव ज़रूरी
बाँहों में हो या नदी के किनारे

जाना अभी है तुमको दूर
मेरा कहा करना ज़रूर, हाय

मैंने कहा, "मोहतरम
रुके हुए क्यूँ हैं क़दम?"
मैंने कहा, "मोहतरम
रुके हुए क्यूँ हैं क़दम?"

देखो, किसी बे-ख़ता की
ऐसे हँसी ना उड़ाओ
ओए, ओए, ओए, ओए, ओए
लगता है, ये भी कहोगे
"अल्लाह, हमें ना सताओ"

चलो रे, सखियों, चुनर उतारो
इसे तो लट में फँसा के मारो

देखो, किसी बे-ख़ता की
ऐसे हँसी ना उड़ाओ
ओए, ओए, ओए, ओए, ओए
लगता है, ये भी कहोगे
"अल्लाह, हमें ना सताओ"

कर दो मुआफ़ मेरा क़ुसूर
हद हो गई अब तो, हुज़ूर, होए

मैंने कहा, "मोहतरम
रुके हुए क्यूँ हैं क़दम?"
समझे ना मोहतरम
रुके हुए क्यूँ हैं क़दम
काहे का है इंतज़ार

माना कि है लंबा सफ़र
पर तुम्हें काहे का डर?
चढ़ती जवानी है, रुत भी सुहानी है
मंज़िल भी रही पुकार, ओए-होए

मैंने कहा, "मोहतरम..."
सुन लिया, मोहतरम
मैंने कहा, "मोहतरम..."
अरे, सुन लिया, मोहतरम



Credits
Writer(s): Anu Malik, Majrooh Sultanpuri, Anwar Sagar
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