Introduction

Tagore के गीत सुन के कितनी निर्मल भावनाएँ
कितने मुलायम जज़्बात दिल में जागते हैं
कितनी गहरी-हल्की तस्वीरें ध्यान की दीवारों पे
सजने लगती हैं, कैसी-कैसी यादें उभरती हैं

इन गीतों में पद्मा की नर्म लहरें
ब्रह्मपुत्र की गहराई है
घनेरे बरगदों की छाँव है

कच्ची भोर के रेशमी धुँधलकों में लिपटे
फूलों पे थरथराती ओस की बूँदें हैं
लगता है आँखों से ओझल
दूर कहीं कोई एकतारा बज रहा है

निगाहों में जैसे गहरी हरी घास के मैदान
फैलते जाते हैं
और घिर आते हैं जैसे आकाश में वो बादल
जो ना जाने किसके संदेसे लेके आए हैं

इस पाकीज़गी, मासूमियत और
मोहब्बत की जादूभरी शायरी को
कोई एक ज़बान से दूसरी ज़बान तक
कैसे ले जाए?

किसी ने सच ही तो कहा है
कि इत्र को एक शीशी से दूसरी शीशी में
कितना ही सँभाल के उँडेलो
कुछ ना कुछ खुशबू तो हवा में खो ही जाएगी

मगर ये Tagore के गीत हैं
इनकी सुगंध कम होने का नाम ही नहीं लेती
तो सुनिए इस महान कवि के
बंगाली गीतों का तर्जुमा मेरी ज़बान में



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Soumik Datta
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