Piya Mosey Rooth Gaye

जनम जनम के लिए प्रीत की बाँधी डोर थी
जिनसे, ढाई आखर प्रेम के फिर भी कबहुँ न बोले उनसे
कबहुँ न भोले उनसे

पिया मोसे रूठ गए रे, पिया मोसे रूठ गए रे
कौन जतन करु, कैसे मनाऊ
कौन जतन करु, कैसे मनाऊ
सूझत कछु नाही मोहे
पिया मोसे रूठ गए रे, पिया मोसे रूठ गए रे

दे भी तो दे जिया किसकी दुहाई
मैंने ही दर्द की फसल उगाई
हाय, दे भी तो देदिया किसकी दुहाई
मैंने ही दर्द ही फसल उगाई
बीज भी रह के बोये
हाय, पिया मोसे रूठ गए रे, पिया मोसे रूठ गए रे

करता रहा मोरा मन मनमानी
उनके तो मन की पीर न जानी
करता रहा मोरा मन मनमानी
उनके तो मन की पीर न जानी
प्रेम के पल सब खोये
हाय, पिया मोसे रूठ गए रे, पिया मोसे रूठ गए रे



Credits
Writer(s): Yogesh, Pravin Kunwar
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