Rehti Thi Main Bezarsi

रहती थी मैं बेज़ार सी
रब से रूठे यार सी
मैं अकेली, थी अकेली
आके तुम मुझसे मिल गए
बर्फ़ पे धूप सी ढल गए

रहती थी तू बेज़ार सी
रब से रूठे यार सी
तू अकेली, थी अकेली
आके तुम मुझसे मिल गई
बर्फ़ पे धूप सी ढल गई

कितनी तमन्ना, कितनी इबादत
जीने की मुझमें कितनी है चाहत
कितनी तमन्ना, कितनी इबादत
जीने की मुझमें कितनी है चाहत
ज़िन्दगी से अब सुलह हो गई

तुम मिले तो सुबह हो गई
तुम मिले तो सुबह हो गई

क्या ढूँढ़ता था, किसको पता था
आके तुम्ही से मिलना लिखा था
क्या ढूँढ़ता था, किसको पता था
आके तुम्ही से मिलना लिखा था
ज़िन्दगी से अब सुलह हो गई

तुम मिले तो सुबह हो गई
तुम मिले तो सुबह हो गई

रहती थी मैं बेज़ार सी
रब से रूठे यार सी
तू अकेली, थी अकेली
आके तुम मुझसे मिल गई
बर्फ़ पे धूप सी ढल गई

तुम मिले तो सुबह हो गई
तुम मिले तो सुबह हो गई
तुम मिले तो सुबह हो गई
तुम मिले तो सुबह हो गई



Credits
Writer(s): Diksha Jyoti, Sunjoy Basu
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