Mehbooba Meri Mehbooba

महबूबा, महबूबा, मेरी महबूबा
महबूबा, मेरी महबूबा
जबसे तुझे देखा है, जबसे तुझे चाहा है
कुछ होश नहीं दुनिया का

महबूबा, मेरी महबूबा
जबसे तुझे देखा है, जबसे तुझे चाहा है
कुछ होश नहीं दुनिया का
महबूबा, मेरी महबूबा

शायर जो तुझे देखे तो ग़ज़ल कह डाले
शायर जो तुझे देखे तो ग़ज़ल कह डाले
तुझे हुस्न का ज़िंदा ताजमहल कह डाले

बिजली की चमक, सूरज की दमक
है नूर तेरी आँखों का, महबूबा

महबूबा, मेरी महबूबा
जबसे तुझे देखा है, जबसे तुझे चाहा है
कुछ होश नहीं दुनिया का
महबूबा, मेरी महबूबा

तेरी ज़ुल्फ़ की ख़ातिर बाग़ खिलाएंँ कलियाँ
तू गुज़रे जहाँ से जन्नत हैं वो गालियाँ
फूलों की महक, बुलबुल की चहक
हर शय में है तेरा चर्चा, महबूबा

महबूबा, मेरी महबूबा
जबसे तुझे देखा है, जबसे तुझे चाहा है
कुछ होश नहीं दुनिया का
महबूबा, मेरी महबूबा

भूले से अगर तू शाम को बाहर आए
भूले से अगर तू शाम को बाहर आए
क्या चाँद की जुर्रत है जो निकलने पाए?
देखे जो तुझे, हैरत से कहे, "ये चाँद है किस दुनिया का?" महबूबा

महबूबा, मेरी महबूबा
जबसे तुझे देखा है, हाए, जबसे तुझे चाहा है
कुछ होश नहीं दुनिया का
महबूबा, मेरी महबूबा

महबूबा, मेरी महबूबा
महबूबा, मेरी महबूबा



Credits
Writer(s): Madan Mohan, Rajinder Krishnan
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