Mujhe Tumse Milke

कुछ बातें अनकही दिल में दबी रह जाती हैं
जो कभी तपिश, कभी ख़लिश
और कभी घुटन बनकर हमेशा सताती हैं

इसीलिए जो कहना है, कह दो
वरना ये अनकही यादें बनकर
तमाम उम्र तुम्हारा पीछा करेगी

इल्तिजा कैसे तुम्हें अब
इस दिल की मैं सुनाऊँ?
तुम से क्यूँ इज़हार-ए-दिल
मैं बयाँ करते-करते रह जाऊँ?

उस अनकही ने भी कहा था
मुझे तुमसे मिलके ये कहना है, मुझे तुमसे
मुझे तुमसे मिलके ये कहना है, मुझे तुमसे

चाहा तुम्हें है ख़ुद से भी ज़्यादा
आज तुम्हें है बताना
दिल में यूँ आना, आके ना जाना
प्यार सदा ही तुम निभाना

प्यार की ये रोशनी बस
मुझ पे तुम अब लुटाओ
आईने की तरह आके तुम
अक्स मेरा बन जाओ

उस अनकही ने भी कहा था
मुझे तुमसे मिलके ये कहना है, मुझे तुमसे
मुझे तुमसे मिलके ये कहना है, मुझे तुमसे

चेहरा तुम्हारा यूँ झिलमिलाया
दिल ये मेरा मुस्कुराया
आँखों ने जब से ख़ाब सजाया
कुछ भी नज़र फिर ना आया

इंतिहा अब हो गई
इस दिल को दो आशियाना
मुंतज़िर कब से हूँ
ये कसक मेरी जाए-जाए ना

इल्तिजा कैसे तुम्हें अब
इस दिल की मैं सुनाऊँ?
तुम से क्यूँ इज़हार-ए-दिल
मैं बयाँ करते-करते रह जाऊँ?

उस अनकही ने भी कहा था
मुझे तुमसे मिलके ये कहना है, मुझे तुमसे
मुझे तुमसे मिलके ये कहना है, मुझे तुमसे



Credits
Writer(s): Sonu, Nusrat Badr
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link