Rooh Ka Rishta By Yasser Desai

अनकही हैं जो बातें, कहनी हैं तुम से ही
क्यूँ ये नज़रें मेरी ठहरी हैं तुम पे ही?

रूह का रिश्ता ये जुड़ गया
जहाँ तू मुड़ा, मैं भी मुड़ गया
रास्ता भी तू है, मंज़िल भी तू ही
हाँ, तेरी ही ज़रूरत है मुझे
ये कैसे समझाऊँ मैं तुझे?
माँगता हूँ तुझे यार तुझ से ही

रूह का रिश्ता ये जुड़ गया
जहाँ तू मुड़ा, मैं भी मुड़ गया
रास्ता भी तू है, मंज़िल भी तू ही
हाँ, तेरी ही ज़रूरत है मुझे
ये कैसे समझाऊँ मैं तुझे?
माँगता हूँ तुझे यार तुझ से ही

बेचैनियाँ अब बढ़ने लगी हैं
सब्र रहा ना, बेसब्री है
आँच थोड़ी साँसों को दे
मुश्क़िल में जान मेरी है

बहता हूँ तुझ में मैं भी, ना छुपा खुद से ही
महकूँ ख़ुशबू से जिस की, बन वो कस्तूरी

रूह का रिश्ता ये जुड़ गया
जहाँ तू मुड़ा, मैं भी मुड़ गया
रास्ता भी तू है, मंज़िल भी तू ही
हाँ, तेरी ही ज़रूरत है मुझे
ये कैसे समझाऊँ मैं तुझे?
माँगता हूँ तुझे यार तुझ से ही

जब से मिला हूँ तुझ से, बस ना रहा है ख़ुद पे
बोलती आँखों ने जादू कर दिया
बख़्श दे मुझे ख़ुदारा, मैंने जब उसे पुकारा
हो गई ख़ता, तेरा नाम ले लिया

साथ हो जो उम्र-भर वो ख़ुशी बन मेरी
हर कमी मंज़ूर है, बिन तेरे जीना नहीं

रूह का रिश्ता ये जुड़ गया
जहाँ तू मुड़ा, मैं भी मुड़ गया
रास्ता भी तू है, मंज़िल भी तू ही
हाँ, तेरी ही ज़रूरत है मुझे
ये कैसे समझाऊँ मैं तुझे?
माँगता हूँ तुझे यार तुझ से ही



Credits
Writer(s): Sonnal Pradhaan
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