Mujhe Tannah Rehne De

ना ख्वाब हैं, ना नींद हैं, बैठा हुआ हूँ इस तरह
बारिशों से भी मानता नहीं, रूठा हुआ हूँ इस तरह
जैसे टूट के भी जुड़ते नहीं काँच के टुकड़े
मैं भी तो अंदर से टूटा हुआ हूँ इस तरह

खुद हो मिटा के ऐसे मैं ही कहाँ हूँ
चलते-चलते ऐसे मैं थक गया हूँ
टूटा सा रहने दे, बिखरा सा रहने दे, मुझे झूटे नातों से मुड़ जाने दे

मुझे तन्हा रहने दे, बस तन्हा रहने दे
इन गुनाहों की लपटों में बस आज जल जाने दें

मेरे हिस्से ना रास्ते थे, ना मंज़िल थी, ऐसा मुसाफ़िर था मैं
बहोत भरोसा था उस खुदा पे
नहीं कहूँगा की काफ़िर था मैं
लेकिन जिसके हाथों से उसने लकीर छिन ली
शायद वो इंसान आखिर था मैं

लम्हें छूटें ऐसे मैं थक गया हूँ
साँसें रूठी मुझसे मैं जम गया हूँ
मर जाने दे मुझे, ज़िंदा ना रहने दे, मुझे उस जहां से मिल जाने दे

मुझे तन्हा रहने दे, बस तन्हा रहने दे
इन गुनाहों की लपटों में बस आज जल जाने दें

जिन को मिल जाते हैं रास्तें, वो मंज़िल तलाश लेते हैं
लम्हा-लम्हा जी कर, खुल कर साँस लेते हैं
बस एक लम्हा और मिले, तरस जातें हैं लोग
और जिन्हें पूरी की पूरी ज़िंदगी मिली, वो देखो उदास रहतें हैं लोग

ज़िंदा होके फिर से मैं हँस पड़ा हूँ
सारी खुशियाँ भर के फिर चल पड़ा हूँ
मंज़िल हैं अब नहीं, सब रस्तें हैं सुलझे
सभी प्यारी यादों से जुड़ जाने दे
मुझे चलता रहने दे, मुझे चलता रहने दे
अब इन राहों की मुझकों अदा बन जाने दे

हर लम्हें में है ज़िंदगी, खुल के देख तो सही
सुनता है वो हर दुआ, तू बोल के देख तो सही
ये बारिशें तुझे फिर से आज़ाद कर देंगी
तू हर बूँद में खुद को घोल कर देख तो सही



Credits
Writer(s): Puneet Dixit, Priyanka R Bala
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