Hum Patthar Dil Ke Lohe Ko

हम पत्थर दिल के
हम पत्थर दिल के लोहे को प्रभु आप लगाओ हाथ
हम पत्थर दिल के लोहे को प्रभु आप लगाओ हाथ
इन जादू भरे अमी नयनों से भस्म करो सब पाप
इन जादू भरे अमी नयनों से भस्म करो सब पाप
हम पत्थर दिल के लोहे को प्रभु आप लगाओ हाथ

महादु:खरूपी जग के संयोग छूटने को सब धर्म प्रयोग
निरद्वेष भाव से कर्म वियोग नहीं अब होवें भव त्रियोग
मैं शाश्वत केवल आत्मा हूँ ये रटन जगाओ आप
मैं शाश्वत केवल आत्मा हूँ ये रटन जगाओ आप
मुझ वज्र जैसे इस दिल पर कुसुम करो अब आप
हम पत्थर दिल के लोहे को प्रभु आप लगाओ हाथ

मन वाणी शरीर के कमठ करम से उलजे हे हम कपट अहम् से
बिन हक़ का खेचा मोह भरम से विपरीत चले हम मोक्ष मरम से
मिथ्यात्व में डूबे इस जीव को पारस कर दो नाथ
मिथ्यात्व में डूबे इस जीव को पारस कर दो नाथ
अशुद्ध पुदगल के कमठ कषाय छेदो पारसनाथ
हम पत्थर दिल के लोहे को प्रभु आप लगाओ हाथ

शासन रक्षो देवी पद्मा टालो विपरीत बुद्धि अज्ञा
मुझे आप सुझाओ अंतरप्रज्ञा अब बरसाओ समकित संज्ञा
हम सबको मिले वीतरागी दीक्षा प्रकटात्मा निज पास
हम सबको मिले वीतरागी दीक्षा प्रकटात्मा निज पास
शुद्ध अनेकांतिक सर्वोदय पर करुणा करो स नाथ।
हम पत्थर दिल के लोहे को प्रभु आप लगाओ हाथ
इन जादू भरे अमी नयनों से भस्म करो सब पाप
हम पत्थर दिल के लोहे को प्रभु आप लगाओ हाथ
प्रभु आप लगाओ हाथ
प्रभु आप लगाओ हाथ
प्रभु आप लगाओ हाथ



Credits
Writer(s): Dada Bhagwan
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