Dada Ka Gnan He Amritki Dhara

दादा का ज्ञान है अमृत की धारा
शुद्ध होते मन बुद्धि अंत:करण सारा।
दादा का ज्ञान है अमृत की धारा
शुद्ध होते मन बुद्धि अंत:करण सारा।
दादाजी ओ दादाजी
दादाजी हमारे दादाजी

आत्मज्ञान की ज्योत जला के जन्मों के कर्मों को भस्म किया
आत्मज्ञान की ज्योत जला के जन्मों के कर्मों को भस्म किया
शुद्धात्मा का रहस्य बता के आत्मानंद का मार्ग दिखाया
दादाजी ओ दादाजी
दादाजी हमारे दादाजी

राग द्वेष से जगत् बना है बुद्धि से अभिप्राय खड़े हैं
राग द्वेष से जगत् बना है बुद्धि से अभिप्राय खड़े हैं
चेन्ज बीलिफ का मंत्र बता के गेट रीलिफ हम सबको कहा है
दादाजी ओ दादाजी
दादाजी हमारे दादाजी

कषायों की अग्नि में जलकर दामन पर भी दाग लगाएँ
कषायों की अग्नि में जलकर दामन पर भी दाग लगाएँ
प्रतिक्रमण का साधन देकर हृदय को पावन पवित्र बनाया
दादाजी ओ दादाजी
दादाजी हमारे दादाजी
दादा का ज्ञान है अमृत की धारा शुद्ध होते मन बुद्धि अंत:करण सारा।
दादा का ज्ञान है अमृत की धारा शुद्ध होते मन बुद्धि अंत:करण सारा।
दादाजी ओ दादाजी
दादाजी हमारे दादाजी
दादाजी ओ दादाजी
दादाजी हमारे दादाजी



Credits
Writer(s): Dada Bhagwan
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