O Ghar Ghar Ke Diye, From ''Hum Bhi Insaan Hain''

घर-घर के दीये बुझा कर बने हुए धनवान
ओ, घर-घर के दीये बुझा कर बने हुए धनवान
तुम ही नहीं हो इस दुनिया में
हम भी तो इंसान, हम भी हैं इंसान

ओ, घर-घर के दीये बुझा कर बने हुए धनवान
तुम ही नहीं हो इस दुनिया में
हम भी तो इंसान, हम भी हैं इंसान

यहाँ तुम्हारा रंग महल है
रंग महल में चहल-पहल है
यहाँ तुम्हारा रंग महल है
रंग महल में चहल-पहल है

और हमारे लिए नहीं क्या ये ज़मीं-आसमान?
और हमारे लिए नहीं क्या ये ज़मीं-आसमान?
तुम ही नहीं हो इस दुनिया में
हम भी तो इंसान, हम भी हैं इंसान

दादाजी, पँहुचवान

वाह चाचाजी! hahahaha

आइए, चाचाजी, आप ही का इंतज़ार था
ओ, चाचा, मतवाला, मतवाला
ए, तू गुड़िया?
चाचा मतवाला, चाचा मतवाला, चा– (आइए, यहाँ बैठिए)
आप? आप कौन?

आप मुझे जाने मालूम होते हैं
मैं आपके प्रांगण में बैठ के इस वक़्त...
मैं जो-जो-ज्योतिष

म-, माफ़ कीजिए, ज़-, ज़्यादा पी गया हूँ
कोई बात नहीं, सुनिए

खेत हमारा, फसल तुम्हारी, ऐसा क्यूँ होगा?
(खेत हमारा, फसल तुम्हारी, ऐसा क्यूँ होगा?)
जिसने मेहनत की, ना उसका पैसा क्यूँ होगा?
(जिसने मेहनत की, ना उसका पैसा क्यूँ होगा?)

दिल है तुम्हारा, और ना होती क्या ग़रीब की जान?
दिल है तुम्हारा, और ना होती क्या ग़रीब की जान?

तुम ही नहीं हो इस दुनिया में
हम भी तो इंसान, हम भी हैं इंसान

हमको भी तो भूख सताती है
(हमको भी तो प्यास जलाती है)
हमको भी तो भूख सताती है
हमको भी तो प्यास जलाती है

आज दूध के लिए हमारी रोती है संतान
आज दूध के लिए हमारी रोती है संतान
तुम ही नहीं हो इस दुनिया में
हम भी तो इंसान, हम भी हैं इंसान

ओ, घर-घर के दीये बुझा कर बने हुए धनवान
तुम ही नहीं हो इस दुनिया में
हम भी तो इंसान, हम भी हैं इंसान



Credits
Writer(s): Manna Dey
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