Khushbu

खुदगर्ज ज़िन्दगी से मैं था परेशान
महताब सा मेरी रातों का तू बना
ख्वाबों में तेरे कटते दिन मेरे, मै रवान
रातों में मेरे दिल में था बसा बंके ख़्वाब

था यकीन, होगा तू ना मुझसे दूर
हमनशी है, ये कैसा तेरा नूर?
दिल में था बस, मेरे एक सवाल
होगा तू कभी खफा
क्या मेरे दुलराबा

खुशबू सा तू बस गया
ख्वाबों से तू नहीं गया
हर पल सोचू मै भला
क्यों मै था मुस्तफा
तेरी चाओं का?

रहगुजर सा तू क्यों आ कर चला गया?
वाकिफ कर मुझको मेरी कमिया दिखला गया
गुमशुदा चोड़ मुझको भीड़ में समा गया
तोड़ अपना राब्ता तू सब कुछ ठुकरा गया

था यकीन होगी फिर नहीं सुबह
दिल में तेरे होगी फिर मेरी जगह
मन में है बस मेरे एक सवाल
कभी किया इश्क़ था क्या मेरे कहकशा

खुशबू सा तू बस गया
यादों से तू नहीं गया
हर पल सोचु मै भला
क्यों मै था मस्ताफा
तेरी छाओं का?

फिर यकीन टूटा थम गई हवा
खोया तू जल उठा मेरा जहां
मन में है बस मेरे एक सवाल
कभी होगा वापस क्या ए मेरे जनाजा?



Credits
Writer(s): Rajat Srivastava
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