Som Aur Mangal

(नारायण, हरि-हरि नारायण)
(नारायण, हरि-हरि नारायण)

सोम और मंगल, बुद्ध, बृहस्पति, शुक्र के व्रत कोई पा ले
(सोम और मंगल, बुद्ध, बृहस्पति, शुक्र के व्रत कोई पा ले)
सात शनि व्रत बालाजी के
(सात शनि व्रत बालाजी के)
तोड़े दुखों के ताले

बोलो रे जय बालाजी की
(हो, जय हो बालाजी की)
बोलो रे जय तिरुपति जी की
(हो, जय हो तिरुपति की)

शब्दों में कही ना जाए, इस व्रत की महिमा भारी
(इस व्रत की महिमा भारी)
यह व्रत करके मनवांछित, फल पाते हैं नर-नारी
(फल पाते हैं नर-नारी)

हर अशुभ कर्म जल जाए
शनि की दशा टल जाए
(शनि की दशा टल जाए)
शनि व्रत रखने से जीवन में रवि के रहे उजाले

(सोम और मंगल, बुद्ध, बृहस्पति, शुक्र के व्रत कोई पा ले)
सात शनि व्रत बालाजी के
(सात शनि व्रत बालाजी के)
तोड़े दुखों के ताले

बोलो रे जय बालाजी की
(हो, जय हो बालाजी की)
बोलो रे जय तिरुपति जी की
(हो, जय हो तिरुपति की)

नारायण, हरि-हरि नारायण
(नारायण, हरि-हरि नारायण)

कलयुग के दुखियों से हर देव ने जब मुँह फेरा
निज लोक छोड़ तब हरि ने धरती पर किया बसेरा
(प्रभु के संग लक्ष्मी माँ आई)
(सब ऋद्धि-सिद्धी ले आई)

अवातारी ने संसारी बन नियम जगत के पाले
(सात शनि व्रत बाला जी के तोड़े दुखों के ताले)

बोलो रे जय बालाजी की
(हो, जय हो तिरुपति की)

है सोमवार शिव जी का, हनुमान के नाम है मंगल
(हनुमान के नाम है मंगल)
बुद्ध शुद्घ करे राहु को, गुरुवार की लक्ष्मी चंचल
(गुरुवार की लक्ष्मी चंचल)
है शुक्र को माँ संतोषी, शनि से प्रसन्न बालाजी
(शनि से प्रसन्न बालाजी)

भक्ति, शक्ति और मुक्ति के दाता, भक्तों के रखवाले
(सोम और मंगल, बूद्ध, बृहस्पति, शुक्र के व्रत कोई पा ले)
सात शनि व्रत बालाजी के
(सात शनि व्रत बालाजी के)
तोड़े दुखों के ताले

बोलो रे जय बालाजी की
(हो, जय हो बालाजी की)
बोलो रे जय तिरुपति जी की
(हो, जय हो तिरुपति की)



Credits
Writer(s): Ravindra Jain
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