He Swami Simandhar

हे स्वामी सीमंधर अरज सुने
हे स्वामी सीमंधर अरज सुने
निदिध्यासन आपका चित्त में रहें
शुद्धात्मा में वृत्ति स्थिर रहें स्थिर रहें
हे स्वामी सीमंधर अरज सुने

जो स्वरुप हे आपका वो ही मेरा
परमात्मा स्वरुप मेरा नहीं समझा नहीं समझा
जब जब मैं करू दर्शन आपका
दर्शन हो मुझमें मेरे खुद का
मुझे अनुभव तब हो आनंद का परमानन्द का
हे स्वामी सीमंधर अरज सुने

अब महाविदेह की आस मुझे
तेरे दर्शन से ही मोक्ष मिले मोक्ष मिले
हे करुणा सागर शरण में लें
भरतक्षेत्र से हमें अब खींचिए
अब और कहीं हम ना भटकें ना भटकें
हे स्वामी सीमंधर अरज सुने
हे स्वामी सीमंधर अरज सुने
अरज सुने
अरज सुने



Credits
Writer(s): Dada Bhagwan
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