Falsafa

दिल में जो छुपा, तुमको क्या पता है
होना है वही, जो रब ने है लिखा
मेरे बेवजह हँसने की तू वजह है
साया बनके रहना चाहता हूँ बस तेरा

इतना क्यूँ है हम में फ़ासला, फ़ासला?
दुख से भरी है ये दास्ताँ

माना, मेरा कुछ भी नहीं तू, फिर भी मेरे पास ही तू
अब तू ही ये बता दे, क्या है तुझसे वास्ता?
मेरा ये दिल ललचाए, जब तू मेरे पास आए
ख़्वाबों के ये शहर में तू है मेरा फ़लसफ़ा

माना, मेरा कुछ भी नहीं तू, फिर भी मेरे पास ही तू
अब तू ही ये बता दे, क्या है तुझसे वास्ता?
मेरा ये दिल ललचाए, जब तू मेरे पास आए
ख़्वाबों के ये शहर में तू है मेरा फ़लसफ़ा

जानूँ ना, क्यूँ है तेरा अब भी मुझ पे ये असर, ये असर
चाहत से आज भी मेरे है क्यूँ तू बेख़बर?
अब तू ये बता, क्या है तेरा-मेरा राब्ता, राब्ता?
होना ना हमसे तू यूँ ख़फ़ा

माना, मेरा कुछ भी नहीं तू, फिर भी मेरे पास ही तू
अब तू ही ये बता दे, क्या है तुझसे वास्ता?
मेरा ये दिल ललचाए, जब तू मेरे पास आए
ख़्वाबों के ये शहर में तू है मेरा फ़लसफ़ा

माना, मेरा कुछ भी नहीं तू, फिर भी मेरे पास ही तू
अब तू ही ये बता दे, क्या है तुझसे वास्ता?
मेरा ये दिल ललचाए, जब तू मेरे पास आए
ख़्वाबों के ये शहर में तू है मेरा फ़लसफ़ा



Credits
Writer(s): Tanzeel Khan
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