Dil Pe Zakhm (From "Dil Pe Zakhm")

हँसता हुआ ये चेहरा बस नज़र का धोखा है
तुमको क्या ख़बर, कैसे आँसुओं को रोका हैं?
ओ, तुमको क्या ख़बर, कितना मैं रात से डरता हूँ?
१०० दर्द जाग उठते हैं, जब ज़माना सोता है

हाँ, तुम पे उँगलियाँ ना उठे
इसलिए ग़म उठाते हैं

दिल पे ज़ख़्म खाते हैं
दिल पे ज़ख़्म खाते हैं, और मुस्कुराते हैं
दिल पे ज़ख़्म खाते हैं, और मुस्कुराते हैं
क्या बताएँ, सीने में किस क़दर दरारें हैं?

हम वो हैं जो शीशों को टूटना सिखाते हैं
दिल पे ज़ख़्म खाते हैं

लोग हमसे कहते हैं, "लाल क्यूँ हैं ये आँखें?
कुछ नशा किया है? या रात सोए थे कुछ कम?"

लोग हमसे कहते हैं, "लाल क्यूँ हैं ये आँखें?
कुछ नशा किया है? या रात सोए थे कुछ कम?"
क्या बताएँ लोगों को? कौन है जो समझेगा?
रात रोने का दिल था, फिर भी रो ना पाएँ हम

दस्तकें नहीं देते हम कभी तेरे दर पे

तेरी गलियों से हम यूँ ही लौट आते हैं
दिल पे ज़ख़्म खाते हैं

कुछ समझ ना आए...
कुछ समझ ना आए, हम चैन कैसे पाएँ?
बारिशें जो साथ में गुज़री, भूल कैसे जाएँ?
कैसे छोड़ दे आख़िर तुझको याद करना
तू जिए, तेरी ख़ातिर अब है क़ुबूल मरना

तेरे ख़त जला ना सके
इसलिए दिल जलाते हैं

दिल पे ज़ख़्म खाते हैं, और मुस्कुराते हैं
हम वो हैं जो शीशों को टूटना सिखाते हैं
दिल पे ज़ख़्म खाते हैं, और मुस्कुराते हैं



Credits
Writer(s): Nusrat Fateh Ali Khan
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