Rubaru

लोबान के धुएँ सा फैला है चार सू
तू लापता है, फिर भी हर ओर तू ही तू
लोबान के धुएँ सा फैला है चार सू
तू लापता है, फिर भी हर ओर तू ही तू

मैं हूँ फ़क़ीर तेरा, रख मेरी आबरू
हामी-ए-बे-कसाँ, है इतनी सी आरज़ू

तू मेरे रू-ब-रू हो, मैं तेरे रू-ब-रू
तू मेरे रू-ब-रू हो, मैं तेरे रू-ब-रू
तू मेरे रू-ब-रू हो, मैं तेरे रू-ब-रू

सरफिरी हवा रोक दे ज़रा
तूने जो बनाया वो बिगाड़ने ना दे
मेरी हार में तेरी हार है
हारने ना दे मुझे तू, हारने ना दे

ऐसे जुड़ मुझसे, मैं घट जाऊँ, मौला
तेरा जो करम हो, मैं छँट जाऊँ, मौला

मैं शाम का धुँधलका, तू नूर हू-ब-हू
हामी-ए-बे-कसाँ, है इतनी सी आरज़ू

तू मेरे रू-ब-रू हो, मैं तेरे रू-ब-रू
तू मेरे रू-ब-रू हो, मैं तेरे रू-ब-रू
तू मेरे रू-ब-रू हो, मैं तेरे रू-ब-रू

तू ही पहली ज़िद, तू ही हर्फ़-ए-आख़िर
मेरे दिल में है जो कुछ भी वो तुझपे ज़ाहिर
ले खोल दी ये बाँहें तेरी ख़ातिर

नज़दीक इस क़दर है, फिर क्यूँ है दूर तू?
हामी-ए-बे-कसाँ, है इतनी सी आरज़ू

तू मेरे रू-ब-रू हो, मैं तेरे रू-ब-रू
तू मेरे रू-ब-रू हो, मैं तेरे रू-ब-रू
तू मेरे रू-ब-रू हो, मैं तेरे रू-ब-रू

अब आन मिलो, मोरे सजन, मन की लगन समझो
है लूट रही दिल को मेरे इश्क़ तपन समझो
नस-नस में मेरे तुम ही तुम, ना बस में ये मन समझो
मुख़बिर हो मेरे दिल के तो बिन बोले, सजन, समझो

तू मेरे रू-ब-रू हो, मैं तेरे रू-ब-रू
तू मेरे रू-ब-रू हो, मैं तेरे रू-ब-रू
तू मेरे रू-ब-रू हो, मैं तेरे रू-ब-रू



Credits
Writer(s): Manoj Muntashir, Vishal Mishra
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