Junoon Hai

रगों में ख़ून है, नहीं सुकून है
दहकते कर्ब में भरा जुनून है
ज़ुल्म के ख़िलाफ़ ये हक़ की जंग है
शमशीर पे चढ़ा लहू का रंग है

तूफ़ान चल पड़ा मिटाने क़ाफ़िला
ज़रा भी मेरे नज़्म में नहीं सुकून है, हाँ

जुनून है, जुनून है, क़ल्ब में जुनून है
जुनून है, जुनून है, लहू में एक जुनून है
हज़ार लश्करों से लड़ने को उबलता ख़ून है
जुनून है, जुनून है, क़ल्ब में जुनून है

आसमाँ पे है अदम, ज़मीन है लहू से नम
सुलगती आग क़ल्ब में भड़क रही है दम-ब-दम
उठा हमारी ज़ीस्त के लहू में एक उबाल है
अदू के वास्ते यहाँ क़दम-क़दम मलाल है

तुम्हें तो इल्म ही नहीं ज़रा भी उनके कर्ब का
बहा ना दे कहीं तुम्हें तूफ़ान उनके सब्र का

बहा ना दे कहीं तुम्हें तूफ़ान उनके सब्र का
कहर-कहर बरस पड़ा, जिधर उठाए नैन हैं

जुनून है, जुनून है, क़ल्ब में जुनून है
जुनून है, जुनून है, लहू में एक जुनून है
हज़ार लश्करों से लड़ने को उबलता ख़ून है
जुनून है, जुनून है, क़ल्ब में जुनून है

(हक़ अली, हक़ अली)
(हक़ अली, हक़ अली)

मासूमियत के क़ातिलों का आज होगा ख़ात्मा
हम बेटियों की ढाल हैं, सीता हो या हो फ़ातिमा
फ़ौलाद के सीने यहाँ, ईमान अपने साथ है
क्या डर मुझे, सर पे मेरे मौला-अली का हाथ है

तुम्हें तो इल्म ही नहीं ज़रा भी उनके कर्ब का
बहा ना दे कहीं तुम्हें तूफ़ान उनके सब्र का

बहा ना दे कहीं तुम्हें तूफ़ान उनके सब्र का
बहा ना दे कहीं तुम्हें तूफ़ान उनके सब्र का
कहर-कहर बरस पड़ा, जिधर उठाए नैन हैं

जुनून है, जुनून है, क़ल्ब में जुनून है
जुनून है, जुनून है, लहू में एक जुनून है
हज़ार लश्करों से लड़ने को उबलता ख़ून है
जुनून है, जुनून है, क़ल्ब में जुनून है

या-अली
मौला, अली

हर दौर उठेगी, हथेली ये शमशीर
हर बार टूटेगी बुराई की ज़ंजीर
(हाँ-हाँ), हर दौर उठेगी, हथेली ये शमशीर
हर बार टूटेगी बुराई की ज़ंजीर

जंग की दहाड़ है, सर पे जुनूँ सवार है
ना बहने का है डर इसे, लहू की ये ललकार है
हज़ार लश्करों से लड़ने को उबलता ख़ून है

जुनून है, जुनून है, क़ल्ब में जुनून है
हज़ार लश्करों से लड़ने को उबलता ख़ून है
जुनून है, जुनून है, क़ल्ब में जुनून है

मौला, अली



Credits
Writer(s): Gg, Abhilash Agrawal
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