Ghazab Kiya

ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया
ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया
तमाम रात क़यामत का इंतज़ार किया
ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया

हम ऐसे महव-ए-नज़ारा ना थे जो होश आता
हम ऐसे महव-ए-नज़ारा ना थे जो होश आता

मगर तुम्हारे तग़ाफ़ुल ने होशियार किया
मगर तुम्हारे तग़ाफ़ुल ने होशियार किया
तमाम रात क़यामत का इंतज़ार किया
ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया

फ़साना-ए-शब-ए-ग़म उनको इक कहानी थी
फ़साना-ए-शब-ए-ग़म उनको इक कहानी थी

कुछ ऐतबार किया, कुछ ना ऐतबार किया
कुछ ऐतबार किया, कुछ ना ऐतबार किया
ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया

ना पूछ दिल की हक़ीक़त, मगर ये कहते हैं
ना पूछ दिल की हक़ीक़त, मगर ये कहते हैं

वो बेक़रार रहे जिसने बेक़रार किया
वो बेक़रार रहे जिसने बेक़रार किया
तमाम रात क़यामत का इंतज़ार किया
ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया



Credits
Writer(s): Iqbal Salim
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