Sad

चाहता हूं सब कुछ गा दू
फिर सारे ये पन्ने जला दू
चहरे पे छाई हुई मायूसी
चाहूं पर इसे कैसे हटाऊ
आज कल हर पल लगे सादगी
कुछ खास नी बातें मेरी आम सी
लाज़मी है ये खुदसे खुदकी बात चीत
क्यूंकि सुनने वाला बैठा कोई पास नहीं
संबंध बंधन सब फीजूल के
खतम हो गए मेरे जो भी ये असूल थे
हम दम मेरे यार मुझे भूल गए
सब रहते दूर जैसे हम अछूत है

मुझको अंधेरों में तुम छोड़ दो
हो सके मूझसे मूंह भी मोड़ लो
मैं नहीं हूं ठीक तुम भी तो wrong हो
मतलब पूरा तो फिर तुम कौन हो

चल रहा वक्त, मेरा लंगड़ा कर
बदला वक्त, तो भरता उनका मन
डरता तब था जब रहता घर में बंद
अब पसंद है मुझको, अकेला रहना अलग
ये प्यार अब आता मुझे रास ना
रहो दूर थोड़ा रखो मूझसे फासला
ढूंढा बोहोत पर मिला नहीं आसरा
सुन नहीं पाओगे कुछ ऐसा हुआ माजरा
बैठा कमरें में खुद के बाल नोचू
पागल सा हो गया हूं लगता जैसे बोझ हूं
सब रहे खुश प्राथना ये करता रोज हूं
लगता कभी खुद के लिए कबर खो दूं

टूटा ना जाने कितने भागो में
पत्थर भी बिकता है अब लाखों में
बस कर दो तुम अब कितनी चाटोगे
हकीकत से और कितना भागोगे

घरवाले बोले खाना क्यूं नी खाता
इतनी anxiety कुछ गले से ना जाता
सब लोग खुश रहते है, मेरे बिना
शायद कोई नहीं मनहूस यहां मेरे सिवा
माफ़ी मांग के, सबको माफ कर जाऊंगा
इन बंद गीतों को आज़ाद कर जाऊंगा
काला दिल इसे भी साफ कर जाऊंगा
गानों से दिलों में मैं भी राज कर जाऊंगा
शैतान पास है या मैं ही हूं demon
करता मुझसे बात कोई है मेरे भीतर
Pain killer से भी ना हुआ दर्द ठीक
झूठी या सच्ची बची एक ही उम्मीद

अब मुझमें, जीने की है आस नहीं
देखो, मैं बन गया जिंदा लाश भई
मुझमें बंद लोगो के हैं राज़ कई
चाहता खोलना सब, पर आज नहीं



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