Utth Ja Ziddi Re

पल जो ठहरा है, लेके सेहरा है
दो क़दम पे ही ख़्वाब सुनहरा है
कल किसी का था, आज ये तेरा है

टेढ़े-मेढ़े रास्तों से आगे बढ़ जाना है रे
उठ जा ज़िद्दी रे, उठ जा ज़िद्दी रे
सोए-सोए ख़्वाबों को भी नींदों से जगाना है रे
उठ जा ज़िद्दी रे, उठ जा ज़िद्दी रे

आधे-आधे वादों को भी पूरा कर जाना है रे
उठ जा ज़िद्दी रे, उठ जा ज़िद्दी रे
हारी-हारी आँखों को भी जीत से मिलाना है रे
उठ जा ज़िद्दी रे, उठ जा ज़िद्दी रे

तेरे कारवाँ की ये दास्ताँ
तो हौले-हौले समझेगा ये जहाँ
ओ-ओ, तुझे वास्ता, दे सबको बता
तू धीरे-धीरे तेरी कहानियाँ

नपी-तुली बातों को भी खुल के उड़ाना है रे
उठ जा ज़िद्दी रे, उठ जा ज़िद्दी रे
जली-बुझी साँसों को भी फिर सुलगाना है रे
उठ जा ज़िद्दी रे, उठ जा ज़िद्दी रे

आधे-आधे वादों को भी पूरा कर जाना है रे
उठ जा ज़िद्दी रे, उठ जा ज़िद्दी रे
हो, हारी-हारी आँखों को भी जीत से मिलाना है रे
उठ जा ज़िद्दी रे, उठ जा ज़िद्दी रे

...जा, उठ जा, उठ जा (उठ जा ज़िद्दी रे)
उठ जा, उठ जा, उठ जा (उठ जा ज़िद्दी रे)
उठ जा (उठ जा ज़िद्दी रे), उठ जा (उठ जा ज़िद्दी रे)
उठ जा (उठ जा ज़िद्दी रे, उठ जा ज़िद्दी रे)
उठ जा (उठ जा ज़िद्दी रे), उठ जा (उठ जा ज़िद्दी रे)
उठ जा (उठ जा ज़िद्दी रे, उठ जा ज़िद्दी रे)



Credits
Writer(s): Pritam, Prashant Ingole
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