Bhakto Chalo Sammed Shikhar

कहते हैं मुनि, श्री प्रणाम सागर, "जैसे शरीर की शोभा है सर
जैन समाज की, भक्तों, शोभा कहलाए सम्मेद शिखर"

(भक्तों, चलो सम्मेद शिखर)
(जहाँ बनते हैं बिगड़े काम)
(जहाँ बनते हैं बिगड़े काम)

(भक्तों, चलो सम्मेद शिखर)
(जहाँ बनते हैं बिगड़े काम)

धामों में सम्मेद शिखर
सबसे न्यारे धाम हैं

भक्तों, चलो सम्मेद शिखर
जहाँ बनते बिगड़े काम हैं
जहाँ बनते बिगड़े काम हैं

हे, भक्तों, चलो सम्मेद शिखर
जहाँ बनते बिगड़े काम हैं
जहाँ बनते बिगड़े काम हैं

धामों में सम्मेद शिखर
सबसे न्यारे धाम हैं

(भक्तों, चलो सम्मेद शिखर)
(जहाँ बनते हैं बिगड़े काम)

धामों में सम्मेद शिखर
सबसे न्यारे धाम हैं

(भक्तों, चलो सम्मेद शिखर)
(जहाँ बनते हैं बिगड़े काम)
(जहाँ बनते हैं बिगड़े काम)

जैन धर्म का तीर्थ शाश्वत सारे जग में कहलाए (सारे जग में कहलाए)
वंदना करें कोई श्रद्धा से, नरक-त्रियंच, भव छूट जाए
(वंदना करें कोई श्रद्धा से, नरक-त्रियंच, भव छूट जाए)
पूज्यनीय उस तीरथ का शास्त्रों में भी है जिकर

भक्तों, चलो सम्मेद शिखर
जहाँ बनते बिगड़े काम हैं
जहाँ बनते बिगड़े काम हैं

(भक्तों, चलो सम्मेद शिखर)
(जहाँ बनते हैं बिगड़े काम)
(जहाँ बनते हैं बिगड़े काम)

(भक्तों, चलो सम्मेद शिखर)
(जहाँ बनते हैं बिगड़े काम)

जहाँ निर्वाण को प्राप्त करके भव्य आत्माएँ हुईं सफल (भव्य आत्माएँ हुईं सफल)
इन्द्र के द्वारा जहाँ तीर्थंकरों के चिन्हित है निर्वाण स्थल
(इन्द्र के द्वारा जहाँ तीर्थंकरों के चिन्हित है निर्वाण स्थल)
चरण चिह्न हैं प्रतिष्ठित, आओ भक्तों, देख कर

भक्तों, चलो सम्मेद शिखर
जहाँ बनते बिगड़े काम हैं
जहाँ बनते बिगड़े काम हैं

(भक्तों, चलो सम्मेद शिखर)
(जहाँ बनते हैं बिगड़े काम)
(जहाँ बनते हैं बिगड़े काम)

भोजन-पानी त्याग करके शुद्ध वस्त्र कर लो धारण (शुद्ध वस्त्र कर लो धारण)
चलो २७ किलोमीटर पैदल, करते प्रभु उच्चारण
(चलो २७ किलोमीटर पैदल, करते प्रभु उच्चारण)
श्री पारसनाथ की कृपा से होती है कृपा सब पर

भक्तों, चलो सम्मेद शिखर
जहाँ बनते बिगड़े काम हैं
जहाँ बनते बिगड़े काम हैं

(भक्तों, चलो सम्मेद शिखर)
(जहाँ बनते हैं बिगड़े काम)
(जहाँ बनते हैं बिगड़े काम)

२० तीर्थंकर की कृपा से दुख, शोक, रोग मिट जाएँ (दुख, शोक, रोग मिट जाएँ)
जनम-जनम के पाप कटें, अँधे की आँखें मिल जाएँ
(जनम-जनम के पाप कटें, अँधे की आँखें मिल जाएँ)
अपंग भी सही हो जाए, गूँगे को स्वर मिल जाए

भक्तों, चलो सम्मेद शिखर
जहाँ बनते बिगड़े काम हैं
जहाँ बनते बिगड़े काम हैं

अरे, भक्तों, चलो सम्मेद शिखर
जहाँ बनते बिगड़े काम हैं
जहाँ बनते बिगड़े काम हैं

धामों में सम्मेद शिखर
सबसे न्यारे धाम हैं

(ॐ ह्रं नमः)
(ॐ ह्रं नमः)
(ॐ ह्रं नमः)
(ॐ ह्रं नमः)



Credits
Writer(s): Chandrama Chandrahi
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