Tabeer

मैं चाहूँ कि मैं एक बादल बन जाऊँ
तू आए आँगन में जो, भिगा दूँ, हँसा दूँ
और तू कहे, "लौट आओ ना, ऐ बादल, ख़ुशी के"
"लौट आओ ना, ऐ बादल, नमी के, हर उस कमी के, आओ ना"

मैं चाहूँ कि मैं एक साहिल बन जाऊँ
आए लहरों पे जो, भिगा दूँ, बहा दूँ ग़म वो तेरे
"लौट आओ ना, ऐ साहिल, ख़ुशी के"
"लौट आओ ना, ऐ साहिल, नमी के, हर उस कमी के, आओ ना"

Whoa-oh-oh
Whoa-oh-oh

कब से खड़े इन ख़्वाबों में
सोचोगे उन बगानों में
कब से खड़े इन ख़्वाबों में
सोचोगे उन बगानों में

ताबीर ऐसी हो आँखें ये जैसीं
हो झपके वो जप भी तो बातें ज़रूरी हों

मैं चाहूँ कि मैं हक़ीक़त बन जाऊँ



Credits
Writer(s): Sahil Samuel
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