Comet

मुझे कर याद बारे मेरे बात मत कर
मेरे दामन पे हैं दाग इन्हे साफ मत कर
रात बेज़ार आजा ख्वाब बन कर
सीने में दफन हैं कितने गीत जज़्बात बन कर
महफ़ूज़ अपनी ख़ामोशी हैं नज़रों की ज़ुबान बन कर
कह के तू लफ्ज बर्बाद मत कर
मैं था पत्थर आए तुम दरार बन कर
हम रहते है घरों में ही अपने दीवार बन कर
दवा हैं या रोग तू के आते चारासाज़ भी हैं कूचे में तेरे बीमार बन कर
फायदा बचाने का रिश्तों को क्या जब बचा सके खुद ही को ना हम ज़िम्मेदार बन कर
तू रहती मेरे सथ हैं मेरा हाल बन कर
मैं था पत्थर आए तम दरार बन कर
अब हु कापता खुदा से कच्चा राबता
कला से तभी मांगता ना ऊपर आसमां ना तले पाव के ज़मीन
नज़ाकत तेरी याद हैं पार याद ना वो दीन जब नादान था ये दिल
लिखना तेरे बारे कुछ भी काफी मुश्किल
पर कुछ भी ना लिखना
ना मुमकिन
बचे अश्क ना
बहते लफ़्ज़ तभी दिल से एहसास बन कर
मैं था पत्थर

कहे माँ मुजे
जल्दी विश्वास मत कर
पोहोचाने वाले चोट है आते यार बनकर
आते कभी प्यार बनकर
मुझसे मुझे
जुदा कर कर
ना आना मेरे पास अगर आना
हो तो आना तुम दावा बनकर
रखो दूरी
नाराज़गी
जबसे माल मू पे लगा छिनी सादगी
सोचु क्यू ना रहा बीत यहाँ आज का ये दिन
दुनिया कर रही बात अभी बाद की
मुझे रहता कुछ याद नहीं
महज़बीन मुझे बात तो बता
क्या तुझे भी मैं दिखता हूं आंख बंद कर
दीवार हु मै आते ये दरार बनकर
जवाबो का था बुका और अब रह गया हूँ बस एक सवाल बन कर
वक्त के इस खेल में बस रह जाएंगे जानी हम एक ख्वाब बन कर
बाद का भरोसा ना तो आना मेरे पास कभी
आज बनकर
हु बेजान मैं
तो आना कभी सांस बन कर



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