Chaudhavi Shab

चौदहवीं शब को कहाँ चाँद कोई ढलता है
आ, चौदहवीं शब को कहाँ चाँद कोई ढलता है

हाय, पानी में...
हाय, पानी में कौन जलता है?
चौदहवीं शब को कहाँ चाँद कोई ढलता है
चौदहवीं शब को कहाँ चाँद कोई ढलता है

दर्द ऐसा कि हँसी आती है
साँस सीने में फँसी जाती है

जिसमें काँटे बिछे हों मंज़िल तक
जिसमें काँटे बिछे हों मंज़िल तक
ऐसे रस्ते पे कौन चलता है?

हाय, पानी में, हाय, पानी में...
हाय, पानी में कौन जलता है?
चौदहवीं शब को कहाँ चाँद कोई ढलता है
चौदहवीं शब को कहाँ चाँद कोई ढलता है

जीता हुआ इश्क़ हार बैठे हैं
इसी तरह दिल को मार बैठे हैं

जैसे हमने मले हैं हाथ अपने
जैसे हमने मले हैं हाथ अपने
ऐसे हाथों को कौन मलता है?

हाय, पानी में...
हाँ, हाय, पानी में कौन जलता है?
चौदहवीं शब को कहाँ चाँद कोई ढलता है
चौदहवीं शब को कहाँ चाँद कोई ढलता है



Credits
Writer(s): Sanjay Leela Bhansali
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