Kaash

काश ऐसा कोई मंज़र होता

काश ऐसा कोई मंज़र होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता

काश ऐसा कोई मंज़र होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता

जमा करता हुआ जो मैं आये हुए संग
जमा करता हुआ जो मैं आये हुए संग
सर छुपाने के लिए घर होता
सर छुपाने के लिए घर होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता

इस पलंदी पे बहोत तनहा हूँ
तनहा हूँ
बहोत तनहा हूँ
तनहा... तनहा हूँ
इस पलंदी पे बहोत तनहा हूँ
काश मैं सब के बराबर होता
काश मैं सब के बराबर होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता

उसने उलझा दिया दुनिया में मुझे
उसने उलझा दिया दुनिया में मुझे
वरना एक और कलंदर होता
वरना एक और कलंदर होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता
काश



Credits
Writer(s): Hariharan Anantha Subramani, Tahir Faraaz, Wali Arsi, Munavar Masoom, Kaif Bhupali, Muzafir Warsi, Shaharyar, Kaizer-ul-zafari
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