Mera Saaya

खोकर मैंने आज तुम्हें पाया है
खोकर मैंने आज तुम्हें पाया है
फिर से मेरे साथ मेरा साया है
फिर से मेरे साथ मेरा साया है
खोकर मैंने आज तुम्हें पाया है

सहमी हुई थी रोशनी, लम्हे बुझे हुए
कोने में थे पड़े कहीं सपने डरे हुए
पलकों में आज फिर से एक ख़्वाब सजाया है
पलकों में आज फिर से एक ख़्वाब सजाया है

फिर से मेरे साथ मेरा साया है
फिर से मेरे साथ मेरा साया है
खोकर मैंने आज तुम्हें पाया है

कारे बादल घिर-घिर आएँ, शाम-सहर उत्पात मचाएँ
अँसुवन की बूँदों से हमने मन के दीप जलाए
कारे बादल घिर-घिर आएँ, शाम-सहर उत्पात मचाएँ
अँसुवन की बूँदों से हमने मन के दीप जलाए

तस्वीर सी जड़ी हुई थी ज़िंदगी कहीं
जब वो मिली तो यूँ लगा, थी वो यहीं कहीं
मुझ पे शायद उसका कोई क़र्ज़ बक़ाया है
मुझ पे शायद उसका कोई क़र्ज़ बक़ाया है

फिर से मेरे साथ मेरा साया है
फिर से मेरे साथ मेरा साया है
खोकर मैंने आज तुम्हें पाया है



Credits
Writer(s): Pranit Gedham, Sanjay Tripathy
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