Pal Pal (Sad Version)

गीली-गीली सौगातों की
लेकर डली
उंगली छोड़ ज़िंदगी आगे चली
परछाइयाँ वो कहाँ खो गईं

धूप जो आँगन से गुल हो चली
थोड़ी सी अपनी, थोड़ी बेगानी
थोड़ी हक़ीक़त है, थोड़ी कहानी

भर के है छलकती ज़िंदगी
उम्र ढलता छोड़ आई ज़िंदगी
पल-पल खेलती है ज़िंदगी



Credits
Writer(s): Pranit Gedham, Sanjay Tripathy
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