Paimane Toot Gaye

कौन है जिसने मय नहीं पी है?
कौन झूठी क़सम उठाता है?
मय-कदे से जो बच निकलता है
तेरी आँखों में डूब जाता है

जब घिर के आई काली घटा
रिंदों ने कहा, "जी-भर के पिला"
इनकार किया जब साक़ी ने
पैमाने टूट गए, पैमाने टूट गए

जब घिर के आई काली घटा
रिंदों ने कहा, "जी-भर के पिला"
इनकार किया जब साक़ी ने
पैमाने टूट गए, पैमाने टूट गए

जब आए शराबी मस्ती में
सब डूब गए यूँ मस्ती में
हंगामा हुआ एक बस्ती में
हंगामा हुआ इक बस्ती में

लोग आए जब मयख़ाने तक
पैमाने टूट गए, पैमाने टूट गए

साक़ी की नक़ाब उलटते ही
क़ीमत ना रही पैमाने की
रौनक़ ही गई मयख़ाने की
रौनक़ ही गई मयख़ाने की

सब पीने लगे जब आँखों से
पैमाने टूट गए, पैमाने टूट गए

साक़ी की नज़र जब तंग हुई
शीशों की क़िस्मत संग हुई
यूँ सारी फ़ज़ा बे-रंग हुई
यूँ सारी फ़ज़ा बे-रंग हुई

मयख़ाने में ऐसी जंग हुई
पैमाने टूट गए, पैमाने टूट गए

जब घिर के आई काली घटा
रिंदों ने कहा, "जी-भर के पिला"
इनकार किया जब साक़ी ने
पैमाने टूट गए, पैमाने टूट गए
पैमाने टूट गए, पैमाने टूट गए



Credits
Writer(s): Mumtaz Rashid, Pankaj Udhas
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