Bahar Hi Bahar

बहार ही बहार है, फिज़ा में भी खुमार है
भँवर कली से कह रहा
भँवर कली से कह रहा
"कि मुझको तुमसे प्यार है"
बहार ही बहार है

किसी ना किसी को ये दिल तुम दोगी
किसी ना किसी से मोहब्बत करोगी
ये दिल है मेरा जो भी चाहूँ करूँगी
मैं दिल ये किसी पागल को ना दूँगी
ये दिल है मेरा जो भी चाहूँ करूँगी
मैं दिल ये किसी पागल को ना दूँगी

बहार ही बहार है, फिज़ा में भी खुमार है

है रंगीं समा, मौसम है सुहाना
अभी ये कहोगे कि छेड़ो तराना
छाया है क्या नशा?
मुझको है क्या पता

तू ही मेरी मंज़िल, तू है सहारा
बिना पंख उड़ता है पंछी बेचारा

बहार ही बहार है, फिज़ा में भी खुमार है

कि उस दिन शाम-ओ-शहर होंगे मेरे
कि जिस दिन तेरे अधर होंगे मेरे
ना दिन कभी वो आएगा, ये ख़्वाब टूट जाएगा
ना दिन कभी वो आएगा, ये ख़्वाब टूट जाएगा

बहार ही बहार है, फिज़ा में भी खुमार है

बहार ही बहार है, बहार ही बहार है
फिज़ा में भी खुमार है, फिज़ा में भी खुमार है
हाँ, भँवर से कह रही कली, भँवर कली से कह रहा
ये झूठ बेशुमार है



Credits
Writer(s): Maya Govind, Bhupen Hazarika
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