Gulon Mein Rang Bharein

हुआ जो तीर-ए-नज़र नीमकश तो क्या हासिल
मज़ा तो जब है किसी ने किया आँचल

गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले

क़फ़स उदास है यारों, सबा से कुछ तो कहो
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले

जो हमपे गुज़री सो गुज़री मगर शब-ए-हिज्राँ
हमारे अश्क़ तेरे आक़बत सँवार चले
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले

कभी तो सुबह तेरे कुंज-ए-लब्ज़ हो आग़ाज़
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्क-ए-बार चले
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले

मक़ाम 'फैज़' कोई राह में जचा ही नहीं
जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले



Credits
Writer(s): Mehdi Hassan
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