Bawla Sa Sapna

आओ जी, आओ सुनो, तुमको सुनाऊँ एक सपने की story
कि मेरी पलकों की टपरी के नीचे वो रहता था सपना टपोरी
अंबर में उड़ने का शौक़ उसे था, अक्ल थी थोड़ी
अरे, चुपके से, टुपके से करना वो चाहता था Moon की चोरी

ये बावला सा सपना, बड़ा बावला सा सपना
मेरी मानता नहीं है, मेरा ही है वो सपना
ये बावला सा सपना, बड़ा बावला सा सपना
रुकना कहाँ है आख़िर, नहीं जानता था सपना

सपने का था बेटा सपनू, प्यारा-प्यारा, बड़ा दुलारा, बोला
"पापा, आना जल्दी-जल्दी तुम, चंदा लाना"
हड़बड़ी में, गड़बड़ी में सपना निकला, सँभला-फ़िसला
उड़ा, पहुँचा-पहुँचा, चाँद के घर गया

वो रात थी अमावसी, छुट्टी पे था जी चंदा
दबे पाँव जो गया था, ख़ाली हाथ लौटा बंदा
ये बावला सा सपना, बड़ा बावला सा सपना
रुकना कहाँ है आख़िर, नहीं जानता था सपना

बादल-बादल घूमे पागल, सपनू को अब कैसे दिखाए चेहरा?
चेहरा, चेहरा, yeah-yeah-yeah-yeah-yeah, अपना चेहरा
तभी सड़क पे पड़ा दिखा एक उजला-उजला, प्यारा-प्यारा शीशा
शीशा, शीशे में उसको जाने क्या दिखा

सपनू को जा दिखाया शीशे में उसका चेहरा
बोला, "मेरे प्यारे सपनू, तू ही है चाँद अपना"
मेरा बावला सा सपना, बड़ा बावला सा सपना
रुकना कहाँ है आख़िर, नहीं जानता था सपना

ये बावला सा सपना, बड़ा बावला सा सपना
मेरी मानता नहीं है, मेरा ही है वो सपना
ये बावला सा सपना, बड़ा बावला सा सपना
रुकना कहाँ है आख़िर, नहीं जानता था सपना



Credits
Writer(s): Pritam Chakraborty, Swanand Kirkire
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