Tezab Ugalta Hai

(ਮਾਹੀਆਂ, ਮਾਹੀਆਂ)

तेज़ाब उबलता है दिल में
इक आग सी दिल में लगती है
तेज़ाब उबलता है दिल में
इक आग सी दिल में लगती है

हर साँस में कोई ख़ंजर है
एक ज़हर मेरे होंठों पर है

तेज़ाब उबलता है दिल में
इक आग सी दिल में लगती है
हर साँस में कोई ख़ंजर है
एक ज़हर मेरे होंठों पर है

तुम और किसी को हो जाओ, ये कैसे में बर्दाश्त करूँ?
मैं ऐसा नहीं होने दूँगा, अब चाहे जियूँ या चाहे मरूँ

क्या तुमने उसमें देखा है
जो मुझसे इतना कमतर है?
हर साँस में कोई ख़ंजर है
एक ज़हर मेरे होंठों पर है

तेज़ाब उबलता है दिल में
इक आग सी दिल में लगती है

ये होंठ, ये चेहरा, ये आँखें, बस मेरे हैं, बस मेरे हैं
तुम जाओ कहीं, मेरी नज़रें हर लम्हा तुमको घेरे हैं

तुम सुन लो जो मैं कहता हूँ
तुम मेरी बनो तो बेहतर है
हर साँस में कोई ख़ंजर है
एक ज़हर मेरे होंठों पर है

तेज़ाब उबलता है दिल में
इक आग सी दिल में लगती है

हर साँस में कोई ख़ंजर है
एक ज़हर मेरे होंठों पर है

(ਮਾਹੀਆਂ, ਮਾਹੀਆਂ)



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Shankar Mahadevan
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