Kanha (Thumri)

पवन उड़ावे बतियाँ, हो, बतियाँ, पवन उड़ावे बतियाँ
टीपो पे ना लिखो चिट्ठियाँ, हो, चिट्ठियाँ, टीपो पे ना लिखो चिट्ठियाँ
चिट्ठियों की संदेसे विदेसे जावेंगे, चलेंगे छतियाँ
चिट्ठियों के संदेसे बिदेसे जावेंगे, चलेंगे छतियाँ

कान्हा, बैरन हुई बाँसुरी
हो, कान्हा, ए, तेरे अधर क्यूँ लगी?
अंग से लगे तो बोल सुनावे
भाए, ना मोह लगे, कान्हा

दिन तो कटा, साँझ कटे
कैसे कटे रतियाँ?

पवन उड़ावे बतियाँ, हो, बतियाँ, पवन उड़ावे बतियाँ
टीपो पे ना लिखो चिट्ठियाँ, हो, चिट्ठियाँ, टीपो पे ना लिखो चिट्ठियाँ
चिट्ठियों के संदेसे बिदेसे जावेंगे, चलेंगे छतियाँ

रोको, कोई रोको, दिन का डोला रोको
कोई डुबे, कोई तो बचावे रे
माथे लिखे म्हारे कारे अँधियारे
कोई आवे, कोई तो मिटावे रे
सारे बंद हैं किवाड़े, कोई आ रहे हैं ना पारे
मेरे पैरों में पड़ीं रस्सियाँ

कान्हा, तेरे ही रंग में रंगी
हो, कान्हा, है साँझ की छब साँवरी
साँझ समय जब साँझ लिपटावे
लज्जा करे बाबरी

कुछ ना कहे आपने आप से
आपी करे बतियाँ

दिन की राह ये, रे (पवन उड़ावे बतियाँ, हो, बतियाँ, पवन उड़ावे बतियाँ)
ले गया सूरज (टीपो पे ना लिखो चिट्ठियाँ, हो, चिट्ठियाँ, टीपो पे ना लिखो चिट्ठियाँ)
छोड़ गए आकाश रे (पवन उड़ावे बतियाँ, हो, बतियाँ, पवन उड़ावे बतियाँ)

हे, कान्हा, कान्हा (बतियाँ, हो, बतियाँ, पवन उड़ावे बतियाँ)
कान्हा, कान्हा (चिट्ठियों के संदेसे बिदेसे जावेंगे, चलेंगे छतियाँ)
कान्हा, कान्हा (पवन उड़ावे बतियाँ, हो, बतियाँ, पवन उड़ावे बतियाँ)
कान्हा, कान्हा



Credits
Writer(s): Gulzar, Sajid Wajid, Wajid
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