Kehne Ki Baat - From "Pyaar Ka Pahela Sawan"

कहने की बात है कि बहारों से हम मिले
कहने की बात है कि बहारों से हम मिले
फूलों के आस-पास ही...
फूलों के आस-पास ही काँटों के ग़म मिले
कहने की बात है कि बहारों से हम मिले

यादों की सर ज़मीन पे ज़ख़्मों की शक्ल में
यादों की सर ज़मीन पे ज़ख़्मों की शक्ल में
बिछड़ी हुई हयात के...
बिछड़ी हुई हयात के नक़्श-ए-क़दम मिले
कहने की बात है कि बहारों से हम मिले

महकी हुई सहर की तरह आए तुम, मगर
महकी हुई सहर की तरह आए तुम, मगर
जलते हुए ख़याल कि मालिंद से हम मिले
कहने की बात है कि बहारों से हम मिले

अब के तुम्हारे शहर में यूँ ज़िंदगी मिली
अब के तुम्हारे शहर में यूँ ज़िंदगी मिली
जैसे कोई मुसाफ़िर-ए...
जैसे कोई मुसाफ़िर-ए-दश्त-ए-अदम मिले

कहने की बात है कि बहारों से हम मिले
फूलों के आस-पास ही...
फूलों के आस-पास ही काँटों के ग़म मिले
कहने की बात है कि बहारों से हम मिले
कहने की बात है कि बहारों से हम मिले



Credits
Writer(s): Sahir, Sumanji Suman
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