Itna Roop Kahan Se
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
लूट के मेरे दिल को क्यूँ शरमाई हो?
लूट के मेरे दिल को क्यूँ शरमाई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
उसपे हम क़ुर्बान हैं, जानाँ, जिसने तुझे तराशा
उसपे हम क़ुर्बान हैं, जानाँ, जिसने तुझे तराशा
आँखें तेरी हीरे-मोती, लब है लाल बताशा
हर एक अदा में देखा हमने...
हर एक अदा में देखा हमने तेरा ख़ूब तमाशा
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
जब भी इस माहौल में बिखरे तेरी ज़ुल्फ़ की ख़ुशबू
जब भी इस माहौल में बिखरे तेरी ज़ुल्फ़ की ख़ुशबू
सारे आलम पर छा जाए तेरे इश्क़ का जादू
कैसे अपने दिल पर कोई...
कैसे अपने दिल पर कोई रख पाएगा क़ाबू?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
चाँद और सूरज क्या हैं, तेरे रूप की हैं परछाई
चाँद और सूरज क्या हैं, तेरे रूप की हैं परछाई
तुझसे मिलने वाला ढूँढे तेरे संग तन्हाई
किसका साथ निभाया तूने?
किसका साथ निभाया तूने? तू तो है हरजाई
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
लूट के मेरे दिल को क्यूँ शरमाई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
लूट के मेरे दिल को क्यूँ शरमाई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
लूट के मेरे दिल को क्यूँ शरमाई हो?
लूट के मेरे दिल को क्यूँ शरमाई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
उसपे हम क़ुर्बान हैं, जानाँ, जिसने तुझे तराशा
उसपे हम क़ुर्बान हैं, जानाँ, जिसने तुझे तराशा
आँखें तेरी हीरे-मोती, लब है लाल बताशा
हर एक अदा में देखा हमने...
हर एक अदा में देखा हमने तेरा ख़ूब तमाशा
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
जब भी इस माहौल में बिखरे तेरी ज़ुल्फ़ की ख़ुशबू
जब भी इस माहौल में बिखरे तेरी ज़ुल्फ़ की ख़ुशबू
सारे आलम पर छा जाए तेरे इश्क़ का जादू
कैसे अपने दिल पर कोई...
कैसे अपने दिल पर कोई रख पाएगा क़ाबू?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
चाँद और सूरज क्या हैं, तेरे रूप की हैं परछाई
चाँद और सूरज क्या हैं, तेरे रूप की हैं परछाई
तुझसे मिलने वाला ढूँढे तेरे संग तन्हाई
किसका साथ निभाया तूने?
किसका साथ निभाया तूने? तू तो है हरजाई
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
लूट के मेरे दिल को क्यूँ शरमाई हो?
इतना रूप कहाँ से लेकर आई हो?
लूट के मेरे दिल को क्यूँ शरमाई हो?
Credits
Writer(s): Vijay Batalvi, Ibrahim Ashq
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