Na Huyi Gar Mere Marne Se - Original

ना हुई 'गर मेरे मरने से तसल्ली, ना सही
इम्तिहाँ और भी बाक़ी हो तो ये भी ना सही
इम्तिहाँ और भी बाक़ी हो तो ये भी ना सही

ख़ार ख़ार-ए-अलम-ए-हसरत-ए-दीदार तो है
शौक़ गुल-चीन-ए-गुलिस्तान-ए-तसल्ली ना सही
शौक़ गुल-चीन-ए-गुलिस्तान-ए-तसल्ली ना सही

एक हंगामे पे मौक़ूफ़ है घर की रौनक़
नौहा-ए-ग़म ही सही, नग़्मा-ए-शादी ना सही
नौहा-ए-ग़म ही सही, नग़्मा-ए-शादी ना सही

ना सताइश की तमन्ना, ना सिले की पर्वा
'गर नहीं है मेरे अश'आर में मानी, ना सही
'गर नहीं है मेरे अश'आर में मानी, ना सही
ना हुई 'गर मेरे मरने से तसल्ली, ना सही



Credits
Writer(s): Mirza Ghalib, N/a Khaiyyaam
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