Dukh Sukh Tha Ek Sabka - Live

हर लम्हा बदलता हुआ वक़्त
ज़िंदगी की सबसे बड़ी सच्चाई है
ये सच्चाई ख़ूबसूरत भी और बेरहम भी
वक़्त की इस तेज़-रफ़्तारी में हमारे दादा
हमारे अब्बा और हमसे क्या कुछ छीन लिया
और हमें क्या कुछ दिया उसका बयान है
Janab Zafar Gorakhpuri की ये ख़ूबसूरत नज़्में

दुख-सुख था एक सबका, अपना हो या बेगाना
दुख-सुख था एक सबका, अपना हो या बेगाना
एक वो भी था ज़माना, एक ये भी है ज़माना
दुख-सुख था एक सबका, अपना हो या बेगाना
एक वो भी था ज़माना, एक ये भी है ज़माना

दादा हयात थे जब मिट्टी का एक घर था
चोरों का कोई खटका ना डाकुओं का डर था
खाते थे रूखी-सूखी, सोते थे नींद गहरी
संतोष था दिलों को, माथे पे बल नहीं था

शामें भरी-भरी थी, आबाद थी दुपहरी
दिल में कपट नहीं था, आँखों में छल नहीं था
थे लोग भोले-भाले, लेकिन थे प्यार वाले
दुनिया से कितनी जल्दी सब हो गए रवाना

दुख-सुख था एक सबका, अपना हो या बेगाना
एक वो भी था ज़माना, एक ये भी है ज़माना

अब्बा का वक़्त आया, तालीम घर में आई
तालीम साथ अपने ताज़ा विचार लाई
आगे रवायतों से बढ़ने का ध्यान आया
मिट्टी का घर हटा तो पक्का मकान आया

दफ़्तर की नौकरी थी तनख़्वाह का सहारा
मालिक पे था भरोसा, हो जाता था गुज़ारा
पैसा अगरचे कम था, फिर भी ना कोई ग़म था
कैसा भरा-पूरा था अपना ग़रीब-ख़ाना

दुख-सुख था एक सबका, अपना हो या बेगाना
एक वो भी था ज़माना, एक ये भी है ज़माना

अब मेरा दौर है ये, कोई नहीं किसी का
हर आदमी अकेला, हर चेहरा अजनबी सा
आँसू ना मुस्कुराहट, जीवन का हाल ऐसा
अपनी ख़बर नहीं है, माया का जाल ऐसा

पैसा है, मर्तबा है, इज़्ज़त विकार भी है
नौकर हैं और चाकर, बंगला है, car भी है
ज़र पास है, ज़मीं है, लेकिन सुकूँ नहीं है
पाने के वास्ते कुछ क्या-क्या पड़ा गवाना

दुख-सुख था एक सबका, अपना हो या बेगाना
एक वो भी था ज़माना, एक ये भी है ज़माना

ऐ आने वाली नस्लों, ऐ आने वाले लोगों
भोगा है हमने जो कुछ, वो तुम कभी ना भोगो
जो दुख था साथ अपने, तुमसे क़रीब ना हो
पीड़ा जो हमने झेली, तुमको नसीब ना हो

जिस तरह भीड़ में हम ज़िंदा रहे अकेले
वो ज़िंदगी की महफ़िल तुमसे ना कोई ले-ले

तुम जिस तरफ़ से गुज़रो मेला हो रोशनी का
रास आए तुमको मौसम २१वीं सदी का
हम तो सुकूँ को तरसे, तुम पर सुकून बरसे
आनंद हो दिलों में, जीवन लगे सुहाना

दुख-सुख था एक सबका, अपना हो या बेगाना
एक वो भी था ज़माना, एक ये भी है ज़माना

शुक्रिया, धन्यवाद



Credits
Writer(s): Zafar Gorakhpuri, Pankaj Udhas
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