Bekhudi

बेकली, बेख़ुदी कुछ आज नहीं
एक मुद्दत से वो मिज़ाज नहीं
हमने अपनी सी की बहुत, लेकिन
मर्ज़-ए-इश्क़ का इलाज नहीं

बेख़ुदी ले गई कहाँ हमको?
बेख़ुदी ले गई कहाँ हमको?
देर से इंतज़ार है अपना
बेख़ुदी ले गई कहाँ हमको?

रोते फिरते हैं सारी-सारी रात
रोते फिरते हैं सारी-सारी रात
अब यही रोज़गार है अपना
बेख़ुदी ले गई कहाँ हमको?

देके दिल हम जो हो गए मजबूर
देके दिल हम जो हो गए मजबूर
इसमें क्या इख़्तियार है अपना?
बेख़ुदी ले गई कहाँ हमको?

जिसको तुम आसमान कहते हो
जिसको तुम आसमान कहते हो
१०० दिलों का ग़ुबार है अपना
बेख़ुदी ले गई कहाँ हमको?

बेख़ुदी ले गई कहाँ हमको?
देर से इंतज़ार है अपना
बेख़ुदी ले गई कहाँ हमको?



Credits
Writer(s): Ali-ghani, Meer Taqi Meer
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