Meri Ghazlon Mein Gaya Hoga - Live

एक नयी ग़ज़ल पेश कर रहा हूँ (इरशाद)
इस ग़ज़ल के शायर हैं, जनाब Sheen Kaaf Nizam
ग़ज़ल मुलाहज़ा फ़रमाएँ

मेरी ग़ज़लों में ढल गया होगा (वाह, वाह)
मेरी ग़ज़लों में ढल गया होगा
चाँद कितना बदल गया होगा (वाह! वाह! बहुत खूब! सुभान-अल्लाह!)
मेरी ग़ज़लों में ढल गया होगा
चाँद कितना बदल गया होगा (वाह! वाह! बहुत ख़ूब!)
चाँद कितना बदल गया होगा (आए-हाए! वाह!)

रास्तों को वो जानता कब था (वाह! वाह! वाह!)
रास्तों को वो जानता कब था
रास्तों को वो जानता कब था (वाह!)
पाँव ही था, फ़िसल गया होगा (वाह-वाह! वाह-वाह!)
पाँव ही था, फ़िसल गया होगा (पाँव ही था, फ़िसल गया होगा)

मेरी ग़ज़लों में ढल गया होगा
चाँद कितना बदल गया होगा

शेर अर्ज़ है

बे-सबब अश्क बह नहीं सकते (वाह! वाह! वाह!)
बे-सबब अश्क बह नहीं सकते (बहुत अच्छे)
बे-सबब अश्क बह नहीं सकते
बे-सबब अश्क बह नहीं सकते
कोई पत्थर पिघल गया होगा (वाह! हाय! बहुत अच्छे! बहुत अच्छे!)
कोई पत्थर पिघल गया होगा

मेरी ग़ज़लों में ढल गया होगा
चाँद कितना बदल गया होगा

ग़ज़ल का मक़्ता अर्ज़ है
(इरशाद, इरशाद)

मंज़िलें दूर क्यूँ हुईं हैं, Nizam?
मंज़िलें दूर क्यूँ हुईं हैं, Nizam?
मंज़िलें दूर क्यूँ हुईं हैं, Nizam?
रस्ता-रस्ता बदल गया होगा (वाह! बहुत अच्छे!)
रस्ता-रस्ता बदल गया होगा

मेरी ग़ज़लों में ढल गया होगा
चाँद कितना बदल गया होगा
मेरी ग़ज़लों में ढल गया होगा
चाँद कितना बदल गया होगा

चाँद कितना बदल गया होगा
चाँद कितना बदल गया होगा



Credits
Writer(s): Pankaj Udhas, Sheen Kaaf Nizam
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