Ab Chhalakte Huye Sagar

अब छलकते हुए साग़र नहीं देखे जाते
तौबा के बाद ये मन्ज़र नहीं देखे जाते

मस्त कर के मुझे औरों को लगा मुँह साक़ी
ये करम होश में रहकर नहीं देखे जाते

साथ हर एक को इस राह में चलना होगा
इश्क़ में रहज़न-ओ-रहबर नहीं देखे जाते

हमने देखा है ज़माने का बदलना लेकिन
उनके बदले हुए तेवर नहीं देखे जाते



Credits
Writer(s): Ali Ahmed Jaleeli
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